Hanuman Ji ke Bhajan Lyrics in Hindi | Bajrangbali Bhajan Lyrics in Hindi:-
वीर घाटे के हनुमान
वीर घाटे के हनुमान की हम जय लगाते हैं ।
सहारा ले लिया जब से दुख सारे मिटाते हैं ।।
चंबर और छत्र की शोभा ध्वजा कलश के ऊपर हैं।
बली की देख हो सूरत भूत सब भाग जाते हैं ।।
राव या हो रंक कोई सुने वो अर्ज सबही की ।
नहीं है भेद कुछ दिल में भक्त का प्रण निभाते हैं ।
खड़ा हूं द्वार पर आके तेरी आश लगा के ।
नाथ अब तो खबर लीजे चरनों में सिर नवाते हैं ।।
गणेशपुरी महन्तजी जब से हुये हैं तेज बल दूने ।
अधिक शोभा है मन्दिर की रतन से जगमगाते हैं ।।
जब से सेवा करने का काम तन मन में लीन्हा है ।
धरा नित हाथ सिर उनके राह सबको दिखाते हैं ।।
सुनो सुखलाल की अर्जी दीनबन्धु दया दिखलाकर ।
करो नित पालना मेरी यही विनती सुनाते हैं ।
बजरंगी दरश दिखलाओ तो
बजरंगी दरश दिखलाओ तो बेड़ा पार हो ।।
मेंहदीपुर घाट में प्रगटे कलियुग में महाराज ।
यात्री मिलकर स्तुति करते पूरण करिये काज ।
संकटों कों मेंटो तो बेड़ा पार हो । बजरंगी० ॥
प्रेतराज मन्दिर के पीछे हैं योग अतिभारी ।
देश देश के दुखिया आकर बोले जय जयकार ।
टेर को सुन लो तो बेड़ा पार हो । बजरंगी० ॥
कोतवाल और भैरव सन्मुख रहते हैं दरबार के ।
भूत जिन वो खोज कर लाते हैं दरबार में ॥
कैद कर उन्हें दो तो बेड़ा पार हो । बजरंगी० ॥
मंगल और शनिवार यहाँ मेला जुड़ता भारी ।
दूर दूर से रोगी लेकर आते हैं नर-नारी ॥
दर्शन दे दो तो बेड़ा पार हो ॥ बजरंगी ॥
तन मन से पूजा करते महन्त गणेश पुजारी ।
शीलस्वभाव सच्चे सेवक भक्तन के हितकारी ।।
उनकी कृपा पालो तो बेड़ा पार हो ॥ बजरंगी ॥
कहाँ तक कहूँ, शोभा है अद्भुत छबि है प्यारी ।
दीन जान कल्याण करोगे आया शरण तुम्हारी ।
विपदा टारो तो बेड़ा पार हो ॥ बजरंगी० ॥
सुनिये विनती हे बजरंगी तर्ज-रसिया
सुनिये विनती हे बजरंगी भव के संकट काटनहार ।।
संकट काटनहार, पवनसुत जग के हो अधार ॥ सुनिये०
सिय के कारण लांघा सागर सत योजन विस्तार ।
कनक लंका को जार पलक में दिया राक्षस को मार ॥ सु०
अहिपति के हितु तुमने कर सिर लीना पर्वत धार ।
बूटी लाकर प्राण बचाये कपि दल भई जैजै कार ॥ सु०
राम लखन छल करके अहिरावन गया पाताल सिधार ।
देवी रूप में तहाँ जा प्रगटे मारा निश्चर झार ॥ सु०
घाटा मेंहदीपुर में लिया कलियुग में अवतार ।
नित प्रति महिमा बढ़े तुम्हारी बल का नहीं शुमार ॥ सु०
महाराज के मन्दिर के पीछे प्रेतराज सरकार ।
दुष्टन को तुम तुरत जकड़ते संग में दूत अपार ॥
कोतवाल और भैरव भक्त देते तब दुख टार ।
देश-देश के यात्री दुखिया आवें हनुमत द्वार ॥सु०
महन्त गणेशपुरी नित 2 सेवा करते विविध प्रकार ।
निश दिन ध्यावत चरण उनके, रक्षक पवन कुमार ।।
कीर्ति कहाँ तक वरणें यहाँ की महिमा अपरम्पार ॥
बद्री नारायण नाम जप कीजे नैया पार ।।
तेरी जय होवे बजरंगी
तेरी जय होवे बजरंगी, तुम हो सच्चे रामदुलार ॥
सच्चे रामदुलार बजरंगी, तुम दुष्टन भंजनहार ॥
सीता की सुधि लेन गये तुम बन के ओंकार ।
लङ्का जलाकर दुष्ट संहारे दीना बाग उजार ॥ तेरी०
अहिपति मूर्छित पड़े शक्ति से लाये शैल उखार ।
बूटी लाकर प्राण बचावे होवे ध्वनि जै जै कार ॥ तेरी०
भारत के संकट हरने को लिया आप अवतार ।
आ घाटे में प्रकट भयो यहाँ हो रही जै जै कार ॥ तेरी०
तेरी० प्रेतराज मन्दिर के पीछे, है दीवान सरकार ।
कोतवाल और भैरव को करते फौरन तैयार ॥ तेरी०
तेरी० दुखी होकर दुनियाँ नर नारी, अर्ज करे तव द्वार ।
सुख सम्पति धन धान्य मिले, अरु पावै सुख अपार ॥ तेरी०
पकड़े भूत जिन्द जब आप ही होवे विपति सुधार ।
नास्तिक भी आस्तिक बन जावे, मेंहदीपुर दरवार ॥ तेरी०
महंत गणेशपुरी गुण सागर के तुम प्राण अधार ।
रहे चरण लवलीन दिवस निश तुम रक्षक हरद्वार ॥ तेरी०
मैं अज्ञानी गुण कहाँ लौं वरणों प्रति मंगलवार ।
दीन जान कल्याण सहाय को, कर दो भव से पार ॥ तेरी०
परम पुनीत प्रताप आपका
परम पुनीत प्रताप आपका महावीर बाला ॥
माँ अंजनी के लाला कृपाला हनुमत घाटे वाला ॥
स्वर्ण शैल सम रहे अतुल बल सकल गुणों की खान ।
प्रकट छत पर उड़े अकाश और लीला मुख में भान ॥
तिमिर भयो तिहुँलोक विकल बेहाल सुरादिक बलवान ।
करी बीनती छोड़ दिया सूर्य बचे सकल विश्व के प्राण ॥
ऐसे दीनदयाल प्रतिपाला आपही भक्तजनों के प्रतिपाला ।
अंजनी के लाल कृपाला० ॥
पूत या भूत की खातिर जो कोई यहाँ पर आते हैं ॥
सुख पाते भूत बैताल तुरत वश में हो जाते हैं ।
करे ब्याह की अगर चाहते तो शादी तुरत कराते हैं ।
धन चाहते हैं उसे भी अच्छा रोजगार लगाते हैं ॥
पेशी होती तीन प्रथम तुम्हारी पेशी में आते हैं ।
दुख अपना सुनाते झुककर शीश नवाते हैं ॥
मेहर नजर हो जाय अगर तो द्वन्द मिट जाते हैं ।
हुकुम होते ही फिर पेशी प्रेतराज को भिजवाते हैं ॥
देख हेत कर चेत प्रेत बादशाह बजाते तत्काला ।
अंजनी के लाल कृपाला० ॥