भगवान के भजन हिंदी में | भक्ति भजन हिंदी में :-
भजन 1 :-
भगवान तुम्हारे चरणों में,
जब प्यार किसी को हो जाए।
दो चार की तो फिर बात ही क्या,
संसार तुम्हारा हो जाए।
(१) गणिका ने कौन सा पाठ किया
शबरी क्या रूप की रानी थी
जिसमें छल कपट क्लेश नहीं
बेड़ा पार उसी का हो जाए
भगवान.....
(२) ध्रुव और प्रहलाद तो बालक थे
पर परमेश्वर को प्यारे थे
दुनिया का होकर क्या लेंगे
एक बार उसी का हो जाए
भगवान.....
(३) माया के दीवाने से शिक्षा लो
उस प्रेम दीवानी मीरा से
करे जो प्यार प्यारे मोहन से
बस श्याम उसी का हो जाए
भगवान.....
(४) अब भी तू मान ले कहना मेरा
जग से ममता को त्याग जरा
मेरे रोम रोम में राम रमा
दीदार उसी का हो जाए
भगवान.....
भजन 2 :-
शरण में आ पड़ी तेरी
प्रभु मुझको भुलाना ना
तेरा है नाम दुनिया में
पतित पावन सभी जाने
देखकर दोष को मेरे
नजर मुझ से हटाना ना
शरण.....
नदी है काल से भारी
बह जाता हूं धारा में
पकड़ लो बांह अब मेरी
नाथ देरी लगाना ना
शरण.....
भजन 3 :-
किस काम यह मानुष जन्म लिया
जो दर्श तुम्हारा पा न सका
बेकार गया सारा जीवन
जो काम किसी के आ न सका
(१) मेरे दिल में भरे हैं लाखों ही दुख
रोग और भोग जमाने के
है एक ठिकाना बस तेरा
जिसमें भी मैं तुझको बसा न सका
किस.....
(२) कई बार गिरा इन विषयों की
मैं घोर अंधेरी नगरी में
एक बार भी मैं तेरी भक्ति का
यह दीप अभागा जला न सका
किस.....
(३) मैं जैसा भी हूं तेरा हूं
अब शरण तुम्हारी आन पड़ा
हे नाथ! अनाथों पर कृपा
जो कोई तेरे बिन कर न सका
किस.....
भजन 4 :-
दुखों से अगर चोट खाई ना होती
तुम्हारी प्रभु याद आई ना होती
(१) जगाते न यदि आप निज द्वारा
कभी हमसे कोई भलाई न होती
दुखों.....
(२) कभी भी हमें चैन मिलता न जग में
तुम्हीं ने जो चिंता मिटाई न होती
दुखों.....
(३) कभी जिंदगी में ये आंखें न खुलती
अगर रोशनी तुमसे पाई न होती
दुखों.....
(४) बनी तुमसे लाखों की हम मानते क्यों
हमारी जो बिगड़ी बनाई न होती
दुखों.....
(५) किसी का कहीं भी नहीं था दिखाना
शरण यदि परम शांति पाई न होती
दुखों.....
(६) पथिक से पतित की भला कौन सुनता
तुम्हारे यहां जो सुनाई नहीं होती
दुखों.....
भजन 5 :-
कल्याण दुखी इस जीवन का
भगवान न जाने कब होगा
जिससे भव भ्रांति मिटा करती
वह ज्ञान न जाने कब होगा
कल्याण.....
(१) जिससे निज दोष दिखा करते
पापों अपराधों से डरते
उस सद् विवेक का मानव में सम्मान न जाने कब होगा
कल्याण.....
(२) अच्छे दिन बीत जाते हैं
गुरुजन सब निधि समझाते हैं
भोग स्थल से योग स्थल में
प्रस्थान न जाने कब होगा
कल्याण.....
(३) शीतलता जिससे आती है
सारी अतृप्ति मिट जाती है
वह नित्य प्राप्त है प्रेम सुधा
पर पान न जाने कब होगा
कल्याण.....
भजन 6 :-
मन के मंदिर में प्रभु को बिठाना
बात सबके यह बस की नहीं है
खेलना पड़ता है जिंदगी से
भक्ति इतनी तो सस्ती नहीं है
(१) प्रेम मीरा ने मोहन से डाला
उसको पीना पड़ा विष का प्याला
जब तक ममता है इस जिंदगी से
उसकी रहमत बरसती नहीं है
मन के.....
(२) सिर पे संकट पड़े तब न डोले
लिपट खम्भे से प्रहलाद बोले
पतित पावन प्रभु के बराबर
कोई दुनिया में हस्ती नहीं है
मन के.....
इस प्रकार में आशा करता हूं कि आप सभी को ये भगवान के भजन काफी पसंद आए होंगे। अगर आपकी कोई भी राय है तो मैं कमेंट बॉक्स में लिखकर बता सकते हैं।