बालाजी के भजन लिखित में | हनुमान जी के भजन कीर्तन लिरिक्स इन हिंदी | बालाजी के नए भजन Lyrics

Admin
0
हनुमान जी के भजन लिखित में

बालाजी के भजन लिखित में | हनुमान जी के भजन कीर्तन:- 

कीर्तन में गाने के लिए हम आपको हनुमान जी के भजन लिखे हुए प्रदान कर रहे हैं, जो कि हनुमान जी की भक्ति से परिपूर्ण हैं;

1. हनुमान जी के भजन लिखित में:-

(हनुमान विनती)

कृपा करो हनुमान जन पर कृपा करो हनुमान ॥ टेक ॥

राम के दुलारे, तुम भक्त रखवारे महावीर बलवान ।
राम-लखन कौशल्याके जाये, अंजनीके जाये हनुमान ॥ जन ०॥

संङ्कट मोचन नाम तिहारो, धरत संतजन ध्यान । 
हाथ में सोटा, लाल लँगोटा मुख में नागर पान ॥ जन पर० ॥ 

लक्ष्मण मूर्छित पड़े धरती पै, लाये संजीवन आन । 
जनकसुता को सोक निवारो रघुबर सुयश बखान ॥ जन पर० ॥ 

फटैई पाताल अहरावण मास्यो, देवी के हर लिए प्रान । 
मकरध्वज को राज तिलक दे राखो तिनका मान ॥ जन पर० ॥ 

राम लखन को सुख दे करके ले आये हनुमान । 
तुलसीदास पर कृपा कीजियो भक्त आपुनो जान ॥ जन पर० ॥

2. हनुमान जी के भजन लिखित में:-

(तुमको लाखों प्रणाम)

महावीर अंजनी नन्दन, तुमको लाखों प्रणाम । 
मारुतिसुत दुष्ट निकन्दन, तुमको लाखों प्रणाम ॥

रक्षक रघुपति अनुज प्रान के, भक्षक हो हनुमान भान के । 
सेवक प्रभु करुणानिधान के, सुरनर मुनि जन चन्दन, तुमको लाखों प्रणाम ॥

सिन्धु फांदि सिय विपति नसाई, बाग अशोक बहार मिटाई 
ब्रह्म अस्त्र लखि के कपिराई, बन्धे धर्म के बन्धन, तुमको लाखों प्रणाम ॥

लंक निशंक जलाय सिधाये, अहिपति शक्ति लगत गिरि लाये । 
राघवेन्द्र हँसि उर लिपटाये, वश में रघुकुलचन्दन, तुमको लाखों प्रणाम ॥

3. हनुमान जी के भजन लिखित में:-

(हनुमान महिमा)

प्रात समय हनुमान को नाम लिये तें विघन टल जाई । 
रामजी के दूत और पूतअँजनी को होत सदा सहाई ॥ 

सौ योजन मरयाद समुद्र की कूद गये छिन मांही । 
लंका जार सिया सुधि लाये गरव नहीं मन माँही ॥ 

द्रोणागिर परवत ले आये लाय धरौ रण मांही । 
लाय संजीवन दई लक्ष्मण को जय हनुमान गुंसाई ॥

4. हनुमान जी के भजन लिखित में:-

(जलाये आये लंका)

रावण की हनुमान जलाय आये लंका । 
जलाय आये लंका, बजाय आये डंका । टेक।

फल खाये बाग उजारे, इन्हें दुक्ख दिये अति भारे । 
मारे मेघनाद के मान । जलाय० । 1।

लंका में आग लगाई, सागर में पूँछ बुझाई । 
उनकी भली करी भगवान । जलाय० । 2।

लंका वाले घबराये, घर में से बाहर आये । 
ऐसो आयो को बलवान । जलाय० । 3।

सीताजी के ढिंग आये, चरणों में शीश नवाये । 
सीता दे दियो वरदान । जलाय० । 4।

श्री रामचन्द्र ढिंग जाई, सीता जी की खबर सुनाई । 
किया रामचन्द्र गुणगान । जलाय० । 5।

5. हनुमान जी के भजन लिखित में:-

(स्तुति श्री हनुमान जी की)

बलवीरों के सरताज हो तुम, बजरङ्ग तुम्हारी जय होबे । 
जनजन के करते काज हो तुम, बजरङ्ग तुम्हारी जय होवे । टेक। 

सत योजन सिंधु लांघ गए, लंका जारी न करी शंका । 
प्रभु-सेवा हित जांबाज हो तुम, बजरंग तुम्हारी जय होवे । 1। 

हे पवनपुत्र हनुमान यती, नहिं उऋण आपसे सिया सती । 
दुष्टों के लिए यमराज हो तुम, बजरंग तुम्हारी जय होवे । 2। 

सुग्रीव सिया रघुबर औ लखन, दुख दूर शनिश्चर के भी किए । 
तुलसी जन हेतु जहाज हो तुम, बजरंग तुम्हारी जय होवे । 3। 

बल ब्रह्मचर्य का दिखला कर, सत्मार्ग प्रदर्शक आप बने । 
'मांडव्य' गरीब निबाज हो तुम, बजरंग तुम्हारी जय होवे । 4।

6. हनुमान जी के भजन लिखित में:-

(गजल)

बजरंग तेरे दर्श द्वार पर कब से खड़ा हूँ मैं । 
झांकी दो आप दीन को कर इच्छा खड़ा हूँ मैं ॥ टेक ॥ 

है तात मात भ्रात सुत प्रभु आसरे तेरे । 
कर गौर मेरी ओर प्रभु दुख से जड़ा हूँ मैं ॥ झाँकी० ॥ 

व्याकुल लषण थे जिस समय शक्ती की पीर से । 
ला औषधि रक्षा करी वैसे पड़ा हूँ मैं ॥ झाँकी० ॥ 

जो भक्त थे प्रभु आपके संकट वैसे व्यापा ॥ झाँकी० ॥ 
उन्हें, कहा देर है कल्याण को चरनों में पड़ा हूँ मैं ॥ झाँकी० ॥

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)
CLOSE ADS