कीर्तन भजन लिरिक्स इन हिंदी | अच्छे-अच्छे भजन कीर्तन Lyrics:-
कल्याण दुखी इस जीवन का,
भगवान न जाने कब होगा।
जिससे भव भ्रांति मिटा करती,
वह ज्ञान न जाने कब होगा।
कल्याण....
जिससे निज दोष दिखा करते,
पापों अपराधों से डरते।
उसे सद् विवेक का मानव में,
सम्मान न जाने कब होगा।
कल्याण....
अच्छे दिन बीत जाते हैं,
गुरुजन सब विधि समझाते हैं।
भोग स्थल से योग्य स्थल में,
प्रस्थान न जाने कब होगा।
कल्याण....
शीतलता जिससे आती है,
सारी अतृप्ति मिट जाती है।
वह नित्य प्राप्त होता है प्रेम सुधा,
पर पान न जाने कब होगा?
कल्याण....
दुखों से अगर चोट खाई न होती,
तुम्हारी प्रभु याद आई न होती।
जगाते न यदि आप निज द्वारा,
कभी हमसे कोई भलाई न होती।
दुखों....
कभी भी हमें चैन मिलता न जग में,
तुम्हीं ने जो चिंता मिटाई न होती।
दुखों....
कभी जिंदगी में ये आंखें न खुलती,
अगर रोशनी तुमसे पानी न होती।
दुखों....
बनी तुमसे लाखों की हम मानते क्यों,
हमारी जो बिगड़ी बनाई न होती।
दुखों....
किसी का कहीं भी नहीं था ठिकाना,
शरण यदि परम शांतिदायी न होती।
दुखों....
पथिक से पतित भी भला कौन सुनता,
तुम्हारे यहां जो सुनवाई न होती।
दुखों....
भजन (3)
इंसाफ का दर है तेरा, यही सोच के आती हूं।
हर बार तेरे दर से, खाली ही जाती हूं-२
आवाज लगाती हूं, तो जवाब नहीं मिलता।
दानी हो सबसे बड़े, मुझको तो नहीं लगता।
शायद किस्मत में नहीं, दिल को समझाती हूं।
इंसाफ का दर....
जज्बात दिलों के प्रभु धीरे से सुनाती हूं।
देखे ना कोई मुझको हालात छुपाती हूं।
सब हंसते हैं मुझ पर, मैं आंसू बहाती हूं।
इंसाफ का दर....
भक्तों को सताने का, अंदाज पुराना है।
देरी से तो आने का, बस एक बहाना है।
खाली जाने से प्रभु, दिल को समझाती हूं।
इंसाफ का दर....