भजन हिंदी में लिखे हुए 2024। लिखे हुए भजन हिंदी में

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भजन हिंदी में लिखे हुए 2024। लिखे हुए भजन हिंदी में।


(1) भजन:- एक प्रेम की गंगा बहती है, गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।

एक प्रेम की गंगा बहती है, गुरुदेव तुम्हारे चरणों में।
फल मिलता है सब तीरथ का, रहे ध्यान तुम्हारे चरणों में।

मैं जन्म-जन्म का भटका हूं, अब शरण तुम्हारी आया हूं।
मेरे जन्म मरण से छुटकारा, जो आया तुम्हारे चरणों में।
एक प्रेम.....
एक बार जो दर्शन पाता है, दिल तुमको ही दे जाता है।
क्या खूब भरे हैं भक्ति के, भंडार तुम्हारे चरणों में।
एक प्रेम.....
जन्मों का भटका जीव पड़ा, मैं हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़ा।
चौरासी का काटो चक्कर, है दास तुम्हारे चरणों में।
एक प्रेम.....

(2) भजन:- संसार के लोगों से आशा न किया करना

संसार के लोगों से आशा न किया करना,
जब कोई नहीं अपना गुरुदेव दया करना।

जीवन के समंदर में, तूफ़ान भी आते हैं।
जो उनको भजते हैं, प्रभु आप बचाते हैं।
जो आप ही आएंगे, तुम याद किया करना।
संसार के.....
मत भूल अरे बंदे, यह देश बेगाना है।
इस दुनिया में आकर, वापस भी तो जाना है।
माया के चक्कर से, दिन रात बचा करना।
संसार के.....
मत सोच अरे बंदे, प्रभु तुझसे दूर नहीं।
जब कष्ट हो भक्तों पर, प्रभु को मंजूर नहीं।
भगवान को आता है, भक्तों पे दया करना।
संसार के.....

(3) भजन:- भगवान को भी न याद किया, संसार हमारा हो ना सका।

भगवान को भी न याद किया, संसार हमारा हो ना सका।
दुविधा में सारी उमर गई, उद्धार हमारा हो न सका।

दुनिया के लिए क्या-क्या न किया,
आवाज कुचलकर आतम की।
फूलों की मोहब्बत एक तरफ,
एक तार हमारा हो न सका।
भगवान.....
जिस तार में गाए गीत सदा,
वह तार था फानी टूट गया।
जिस तार में वह करतार मिले,
वह तार हमारा हो न सका।
भगवान.....
कमजोर जहां के हाथों में दे,
नौका बेड़ा ठेल दिया।
तब ही बेड़ा मझधार रहा,
उस पार हमारा हो न सका।
भगवान.....
करता ही रहा करतूत बुरी,
करतार तभी तक दूर रहा।
पर टुकडन पेट भरा जग में,
भरतार हमारा हो न सका।
भगवान.....

(4) भजन:- कल्याण दुखी इस जीवन का, भगवान न जाने कब होगा।

कल्याण दुखी इस जीवन का,
भगवान न जाने कब होगा।
जिससे भव भ्रांति मिटा करती,
हुआ है ज्ञान न जाने कब होगा।
कल्याण.....
जिससे निज दोष दिखा करते,
पापों, अपराधों से डरते।
उस सद् विवेक का मानव में,
सम्मान ना जाने कब होगा।
कल्याण.....
अच्छे दिन बीत जाते हैं,
गुरुजन सब विधि समझाते हैं।
भोगस्थल से योगस्थल में,
प्रस्थान न जाने कब होगा।
कल्याण.....
शीतलता जिससे आती है,
सारी अतृप्ति मिट जाती है।
वह नित्य प्राप्त है प्रेम सुधा,
पर पान न जाने कब होगा। 
कल्याण.....

भजनों को हिंदी में शुद्ध रूप से लिखने का प्रयास किया गया है फिर भी आपको किसी भी प्रकार की त्रुटि मिलती है तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं जिससे हम उसमें सुधार कर सकें। 

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